Friday 30 May 2014

शहर का कचरा उठाने में लाखों की गड़बड़ी

शहर का कचरा उठाने में लाखों रुपयों की गड़बड़ी की जा रही है। इसका प्रमाण यह है कि कचरे के साथ मलबा परिवहन करके भुगतान उठाया जा रहा है। यह इसलिए हो रहा है, क्योंकि मलबा ट्राली में भरना भी आसान है और इसका वजन कचरे से अधिक होता है। जिला मुख्यालय पर अप्रैल 2014 से कचरा परिवहन के लिए नई व्यवस्था लागू की गई है। इसके तहत चंड़ीगढ़ की तर्ज पर कचरा परिवहन के बाद कचरे के वजन के हिसाब से ठेकेदार को भुगतान देना तय किया गया। इसमें प्रति टन के हिसाब से 375 रुपए ट्रैक्टर-ट्राली ठेकेदार को देना निर्धारित किया गया। ठेका व्यवस्था के पहले ही माह में नगरपरिषद को 4.90 लाख रुपए अधिक देने पड़ेंगे, जबकि शहर की सफाई व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ है। राशि अधिक खर्च करने के बाद भी जगह-जगह कचरे के ढेर पड़े नजर आते हैं। नई व्यवस्था में बड़े घपले की आशंका जताई जा रही है। पहले साढ़े चार लाख देने पड़ते थे, अब देने होंगे 9.40 लाख नए व्यवस्था के बाद नगरपरिषद में कचरा परिवहन का एक माह का पहला बिल साढ़े नौ लाख रुपए का पेश किया गया है। बिल के मुताबिक ठेकेदार ने अप्रैल माह में 2400 टन कचरा परिवहन किया है। इसके अलावा नवां बाइपास स्थित बीआर धर्मकांटा को प्रति ट्राली के वजन के लिए 40 रुपए के हिसाब से एक माह का चालीस हजार रुपए का भुगतान किया जाना है। इससे पहले गत वर्ष कचरा परिवहन के लिए प्रति ट्रैक्टर ट्राली मय डीजल व मजदूर 1250 रुपए दिहाड़ी तय थी। इसमें नगरपरिषद ने सभी 45 वार्डों को छह जोन में बांटा हुआ था। जिसमें बारह ट्रैक्टर-ट्रालियों से पूरे शहर से कचरा परिवहन किया जाता था। इस काम के लिए ठेकेदार को प्रतिमाह साढ़े चार लाख रुपए का भुगतान होता था। इस तरह हो रही है गड़बड़ी वजन के हिसाब से भुगतान होने के कारण ठेकेदार अधिक भुगतान उठाने के लिए सरेआम हेराफेरी कर रहे हैं। कचरा परिवहन के बजाय मलबा परिवहन अधिक किया जा रहा है। गलियों में घरों के आगे पड़े मलबे को लोगों को पहले खुद ही हटाना पड़ता था। इसके लिए नगरपरिषद की ओर से मलबा नहीं हटाने पर संबंधित व्यक्ति को नोटिस देने का भी प्रावधान है, लेकिन अब ठेकेदार के मजदूर बिना कहे ही मलबा उठाकर ले जाते हैं। इसके तहत ट्रैक्टर ट्रालियों मेें पहले मलबा डाल लिया जाता है और इसके बाद मलबे को ढकने के लिए थोड़ा कचरा डाल दिया जाता है।

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